
इंडोनेशिया के सिदोआर्जो शहर में जो हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नहीं था। दो मंज़िला इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल की इमारत अचानक गिर गई — और उसी के साथ कई ज़िंदगियां भी मलबे में दब गईं।
सैकड़ों छात्र थे अंदर, ज़्यादातर किशोर
जब हादसा हुआ, स्कूल के अंदर सैकड़ों बच्चे मौजूद थे। राहत एजेंसी (BNPB) के अनुसार अब तक 5 छात्रों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि करीब 100 छात्र घायल हैं।
13 लोगों को मलबे से बाहर निकाला गया, जिनमें से दो ने बाद में दम तोड़ दिया।
ड्रोन से हुई तलाश, लेकिन उम्मीदें हुईं खत्म
गुरुवार को बचाव एजेंसी ने थर्मल ड्रोन की मदद से मलबे में जीवन के संकेत ढूंढने की कोशिश की। लेकिन रिपोर्ट साफ है — “कोई जीवन का संकेत नहीं मिला”।
अब तक 59 लोग लापता हैं, और यह संख्या चिंताजनक है।
क्या था हादसे की वजह? इमारत की हालत पर सवाल
अभी तक हादसे की असल वजह सामने नहीं आई है, लेकिन स्थानीय रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इमारत की हालत पहले से जर्जर थी। सवाल उठता है कि क्या इस बोर्डिंग स्कूल को समय पर मेंटेन नहीं किया गया?
अगर यह लापरवाही है, तो इसका जवाब ज़िम्मेदारों को देना होगा।

मानवता की परीक्षा: राहत कार्य जारी, उम्मीदें कम
बचावकर्मियों ने कहा है कि अब “यह ऑपरेशन रिकवरी मोड” में है — यानी जीवितों की तलाश नहीं, अब सिर्फ शवों की बरामदगी।
ये वो पल है जब टेक्नोलॉजी, मानवता और संवेदनशीलता तीनों की परीक्षा होती है।
इंडोनेशिया में हुआ यह स्कूल हादसा एक बार फिर दुनिया को याद दिलाता है कि इमारतें गिरने से सिर्फ कंक्रीट नहीं टूटता, भविष्य भी दब जाता है।
हम उम्मीद करते हैं कि जो भी लापता हैं, उनका कोई सुराग मिले — और दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाए।
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